सिंधु घाटी सभ्यता: हड़प्पा सभ्यता का इतिहास, नगर योजना, महत्वपूर्ण स्थल और पतन (UPSC/SSC Complete Notes)
सिंधु घाटी सभ्यता: हड़प्पा सभ्यता का इतिहास, नगर योजना, महत्वपूर्ण स्थल और पतन (UPSC/SSC Complete Notes)
सिंधु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilisation): UPSC, SSC, Railway के लिए सम्पूर्ण नोट्स, इतिहास, स्थान और विशेषताएं
1. परिचय (Introduction)
सिंधु घाटी सभ्यता, जिसे हड़प्पा सभ्यता भी कहते हैं, भारत के इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण अध्याय है। सोचिए, आज से लगभग 4500 साल पहले जब दुनिया के कई हिस्सों में लोग ठीक से रहना भी नहीं जानते थे, तब हमारे यहाँ एक ऐसी शानदार सभ्यता थी जहाँ पक्के मकान, चौड़ी सड़कें और बेहतरीन नाली व्यवस्था थी।
यह सभ्यता सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के किनारे विकसित हुई थी, इसलिए इसे सिंधु घाटी सभ्यता कहा जाता है। यह भारत की सबसे पहली और सबसे पुरानी नगरीय सभ्यता (Urban Civilization) थी। इसकी खोज 20वीं शताब्दी में हुई, जिसने भारतीय इतिहास को एक नई दिशा दी।
📌 महत्वपूर्ण परिभाषा
सभ्यता (Civilisation): जब मनुष्य एक साथ मिलकर एक उन्नत और व्यवस्थित जीवन जीते हैं, जिसमें उनके अपने नियम, शहर, कला, और संस्कृति होती है, तो उसे सभ्यता कहते हैं। सिंधु घाटी सभ्यता ऐसी ही एक उन्नत शहरी सभ्यता थी।
2. सिंधु घाटी सभ्यता की खोज और नामकरण
सिंधु घाटी सभ्यता की कहानी लगभग 1853 में शुरू हुई, जब कराची से लाहौर के बीच रेलवे लाइन बिछाई जा रही थी। तब इंजीनियर्स को यहाँ से ईंटें मिलीं, लेकिन इसका महत्व नहीं समझा गया।
- सबसे पहले जानकारी: 1826 में चार्ल्स मैसन ने सबसे पहले इस स्थल पर ध्यान दिया।
- पहचान: 1921 में दयाराम साहनी ने हड़प्पा नामक स्थल की खुदाई की।
- अगले वर्ष: 1922 में राखालदास बनर्जी ने मोहनजोदड़ो नामक स्थल की खुदाई की।
- नामकरण: जॉन मार्शल (तत्कालीन पुरातत्व विभाग के महानिदेशक) ने 1924 में आधिकारिक तौर पर इस नई सभ्यता को 'सिंधु घाटी सभ्यता' नाम दिया।
2.1. नामकरण के मुख्य आधार
- सिंधु घाटी सभ्यता: क्योंकि इसके शुरुआती स्थल सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के किनारे मिले थे।
- हड़प्पा सभ्यता: चूंकि हड़प्पा (1921 में) खुदाई किया गया पहला स्थल था, इसलिए पुरातत्व के नियम के अनुसार इसे 'हड़प्पा सभ्यता' भी कहा जाता है। (यह नाम सबसे अधिक मान्य है)।
3. सिंधु घाटी सभ्यता का काल (समय)
इसका काल निर्धारण कार्बन-14 ($C^{14}$) जैसी वैज्ञानिक विधियों द्वारा किया गया है।
| इतिहासकार/संस्था | काल (समय) |
|---|---|
| सबसे अधिक मान्य (NCERT/आमतौर पर स्वीकृत) | 2500 ई.पू. से 1750 ई.पू. |
| जॉन मार्शल | 3250 ई.पू. से 2750 ई.पू. |
ई.पू. (B.C.) का मतलब: ईसा मसीह के जन्म से पहले। समय पीछे की ओर गिना जाता है।
4. भौगोलिक विस्तार (Geo-graphical Extent)
सिंधु सभ्यता एक विशाल क्षेत्र में फैली हुई थी। यह त्रिभुजाकार (Triangular) रूप में फैली हुई थी। इसका कुल क्षेत्रफल लगभग 13 लाख वर्ग किलोमीटर था। यह वर्तमान भारत, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के हिस्सों में फैली हुई थी।
| दिशा | स्थान | राज्य/देश | नदी |
|---|---|---|---|
| उत्तर (North) | मांडा | जम्मू और कश्मीर (भारत) | चिनाब |
| दक्षिण (South) | दायमाबाद | महाराष्ट्र (भारत) | परवरा (गोदावरी की सहायक) |
| पूर्व (East) | आलमगीरपुर | उत्तर प्रदेश (भारत) | हिंडन |
| पश्चिम (West) | सुत्कागेंडोर | बलूचिस्तान (पाकिस्तान) | दाश्त |
5. प्रमुख स्थल और खोजकर्ता (Most Important Sites)
| स्थल (Site) | वर्तमान स्थिति | खोजकर्ता/उत्खननकर्ता | वर्ष | महत्वपूर्ण खोज/विशेषताएँ |
|---|---|---|---|---|
| हड़प्पा | पाकिस्तान (पंजाब प्रांत) | दयाराम साहनी | 1921 | कब्रिस्तान (R-37), अन्नागार (अनाज रखने का स्थान), तांबे का इक्का (गाड़ी) |
| मोहनजोदड़ो | पाकिस्तान (सिंध प्रांत) | राखालदास बनर्जी | 1922 | विशाल स्नानागार, विशाल अन्नागार, कांसे की नर्तकी की मूर्ति, पशुपति महादेव की मुहर |
| चन्हुदड़ो | पाकिस्तान (सिंध प्रांत) | एन.जी. मजूमदार | 1931 | एकमात्र स्थल जहाँ दुर्ग (किला) नहीं था, मनके बनाने का कारखाना, लिपिस्टिक, बिल्ली का पीछा करते हुए कुत्ते के पदचिह्न |
| लोथल | गुजरात (भारत) | एस.आर. राव | 1957 | गोदीवाड़ा (बंदरगाह), अग्निकुंड, चावल के साक्ष्य, फ़ारस की मुहर (व्यापार का प्रमाण) |
| कालीबंगा | राजस्थान (भारत) | बी.बी. लाल और बी.के. थापर | 1953 | जुते हुए खेत के साक्ष्य, अग्निकुंड, कच्ची ईंटों के मकान, चूड़ियाँ |
| धौलावीरा | गुजरात (भारत) | जे.पी. जोशी और आर.एस. बिष्ट | 1967/90 | जल प्रबंधन प्रणाली, तीन भागों (नगरों) में विभाजित, **विशाल जलाशय**, **सूचना पट्ट (Signboard)** |
| राखीगढ़ी | हरियाणा (भारत) | सूरज भान | 1963 | भारत में स्थित सबसे बड़ा हड़प्पा स्थल। |
6. सभ्यता की प्रमुख विशेषताएं
6.1. नगर योजना और संरचना (Town Planning)
सिंधु घाटी सभ्यता की सबसे बड़ी विशेषता उसकी अद्भुत नगर योजना थी। इसे विश्व की सबसे बेहतरीन शहरी योजना माना जाता है।
- ग्रिड प्रणाली (Grid System): सड़कें एक-दूसरे को समकोण (90°) पर काटती थीं।
- नगर विभाजन: ज्यादातर नगर दो भागों में बंटे थे: दुर्गीकृत क्षेत्र (गढ़/Upper Town) और निचला नगर (Lower Town)।
- भवन निर्माण: मकान पक्की और मानक आकार की ईंटों से बनाए जाते थे। खिड़कियाँ मुख्य सड़क की ओर न खुलकर पीछे की ओर खुलती थीं।
- उत्कृष्ट जल निकासी प्रणाली: यह इस सभ्यता की सबसे बड़ी उपलब्धि थी। नालियाँ ढकी हुई होती थीं और इनकी सफाई के लिए जगह-जगह मेनहोल बनाए गए थे।
6.2. सामाजिक जीवन (Social Life)
सिंधु सभ्यता का समाज एक मातृसत्तात्मक (Matriarchal) समाज लगता है, क्योंकि यहाँ से बड़ी संख्या में मातृदेवी (Mother Goddess) की मूर्तियाँ मिली हैं।
- वर्ग/समूह: समाज पुरोहित/शासक, व्यापारी, किसान/कारीगर और श्रमिक वर्गों में विभाजित था।
- वस्त्र: ऊनी और सूती दोनों प्रकार के वस्त्रों का उपयोग होता था।
- मनोरंजन: शिकार करना, मछली पकड़ना, पासा खेलना और नृत्य।
6.3. आर्थिक जीवन (Economic Life)
6.3.1. कृषि (Agriculture):
सिंधु लोग बाढ़ के मैदानों में खेती करते थे। **प्रमुख फसलें:** गेहूँ, जौ, राई, मटर, **कपास (Cotton)**, तिल और सरसों। सिंधु सभ्यता के लोग सबसे पहले कपास उगाने वाले लोग थे। लोथल से **चावल** और कालीबंगा से **जुते हुए खेत** के साक्ष्य मिले हैं।
6.3.2. व्यापार और वाणिज्य (Trade and Commerce):
- व्यापार का माध्यम: वस्तु विनिमय प्रणाली (Barter System) थी। मुद्रा (सिक्कों) का कोई प्रमाण नहीं मिला है।
- बंदरगाह (Port): लोथल प्रमुख बंदरगाह था।
- वजन और माप: मानकीकृत माप-तौल का उपयोग होता था, जो **16 के अनुपात** में होते थे।
6.4. धार्मिक जीवन (Religious Life)
धार्मिक जीवन के बारे में जानकारी मूर्तियों और मुहरों पर आधारित है।
- मातृदेवी की पूजा: मातृदेवी (पृथ्वी देवी) की उपासना प्रमुख थी।
- पशुपति महादेव की पूजा: मोहनजोदड़ो से एक मुहर मिली है, जिस पर एक पुरुष देवता को योग की मुद्रा में दिखाया गया है।
- प्रकृति पूजा: लोग वृक्षों (खासकर **पीपल**) और पशुओं (**कुबड़ वाला बैल**) की पूजा करते थे।
- मंदिरों का अभाव: इस सभ्यता में **मंदिरों** का कोई स्पष्ट साक्ष्य नहीं मिला है।
7. लिपि और मुहरें (Script and Seals)
- लिपि: सिंधु लिपि भावचित्रात्मक (Pictographic) थी, यानी यह चित्र और संकेतों पर आधारित थी।
- आज तक पढ़ा नहीं जा सका: यह लिपि आज तक पढ़ी नहीं जा सकी है।
- लिखने का तरीका: यह लिपि दाएँ से बाएँ और फिर बाएँ से दाएँ लिखी जाती थी (बुस्ट्रोफ़ेडन)।
- मुहरें: मुहरें **सेलखड़ी (Steatite)** की बनी होती थीं और इन पर सबसे अधिक **एकश्रृंगी पशु (Unicorn)** का अंकन मिलता है।
8. सिंधु सभ्यता का पतन (Decline)
लगभग 1750 ई.पू. के आसपास यह महान सभ्यता समाप्त हो गई। इसके पतन के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:
| पतन का कारण | मुख्य विचारक/सिद्धांत |
|---|---|
| बाढ़ | जॉन मार्शल, एस.आर. राव |
| आर्यों का आक्रमण | मॉर्टिमर व्हीलर |
| जलवायु परिवर्तन/सूखा | ऑरेल स्टीन, डी.पी. अग्रवाल |
9. प्रतियोगी परीक्षा के लिए विशेष तथ्य (Competitive Exam Facts)
9.1. Important Points (महत्वपूर्ण बिंदु)
- सिंधु सभ्यता एक **आद्य-ऐतिहासिक (Proto-Historic)** और **कांस्य युगीन (Bronze Age)** सभ्यता थी।
- सिंधु सभ्यता की मोहरों पर **गाय का अंकन नहीं मिलता है**।
- चावल के पहले साक्ष्य **लोथल** और रंगपुर से मिले हैं।
- हड़प्पा से प्राप्त अन्नागार सबसे बड़ी संरचना है।
- भारत में स्थित सबसे बड़ा हड़प्पा स्थल **राखीगढ़ी** (हरियाणा) है।
9.2. One Liner Facts (वन-लाइनर तथ्य)
9.3. Exam Trick / Short Trick
सिंधु नदी के किनारे प्रमुख स्थल (Trick):
Hum Me Chamakta Chand **J**aisa **K**oi - **H**arappa, **M**ohenjo-daro, **C**hanhudaro, **J**udero (**J**ohn Marshall), **K**ot Diji
10. पिछले वर्ष के परीक्षा प्रश्न
10.1. MCQ (बहुविकल्पीय प्रश्न)
1. **UPSC 2013:** सिंधु घाटी सभ्यता के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
1. यह प्रमुखतः लौकिक सभ्यता थी तथा उसमें धार्मिक तत्व, यद्यपि उपस्थित था, वर्चस्वशाली नहीं था।
2. उस काल में भारत में कपास से वस्त्र बनाए जाते थे।
उत्तर: (C) 1 और 2 दोनों।
10.2. Short Answer (लघु उत्तरीय प्रश्न)
प्रश्न: सिंधु घाटी सभ्यता की नगर योजना की मुख्य विशेषताओं का वर्णन करें।
उत्तर: ग्रिड प्रणाली, जल निकासी, दोहरे विभाजन (गढ़ और निचला नगर)।
11. अभ्यास प्रश्न (Practice MCQ)
| प्रश्न | उत्तर |
|---|---|
| 1. सिंधु सभ्यता का कौन सा स्थल **बंदरगाह (Dockyard)** के लिए प्रसिद्ध था? (A) कालीबंगा (B) लोथल (C) मोहनजोदड़ो | **(B) लोथल** |
| 2. सिंधु घाटी के लोग किस धातु से **अपरिचित** थे? (A) तांबा (B) कांसा (C) लोहा | **(C) लोहा** |
| 3. मोहनजोदड़ो का स्थानीय नाम क्या है? (A) जीवितों का टीला (B) मृतकों का टीला (C) महान टीला | **(B) मृतकों का टीला (Mound of Dead)** |
| 4. जुते हुए खेत का साक्ष्य कहाँ से मिला है? (A) हड़प्पा (B) धौलावीरा (C) कालीबंगा | **(C) कालीबंगा** |
| 5. सिंधु घाटी सभ्यता में सबसे पहले कपास उगाने का श्रेय किसे दिया जाता है? (A) भारतीयों को (B) यूनानियों को (C) मिस्रियों को | **(A) भारतीयों को** |
12. सारांश / त्वरित नोट्स (Revision Notes)
- नाम: सिंधु घाटी सभ्यता / हड़प्पा सभ्यता (कांस्य युग)।
- काल: 2500 ई.पू. - 1750 ई.पू.।
- पहचान: भारत की पहली **नगरीय (शहरी)** सभ्यता।
- प्रमुख खोज: मोहनजोदड़ो - **विशाल स्नानागार**। लोथल - **बंदरगाह**। कालीबंगा - **जुते हुए खेत**।
- धार्मिक: मातृदेवी, पशुपति महादेव, वृक्ष (पीपल) पूजा। **मंदिर नहीं** थे।
- पतन का कारण: बाढ़, जलवायु परिवर्तन।
13. अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ for SEO)
Q.1. सिंधु घाटी सभ्यता को हड़प्पा सभ्यता क्यों कहा जाता है?
सिंधु घाटी सभ्यता का पहला खोजा गया स्थल हड़प्पा था। पुरातत्व के नियम के अनुसार, किसी भी सभ्यता का नाम पहले खोजे गए स्थल के नाम पर रखा जाता है, इसलिए इसे 'हड़प्पा सभ्यता' भी कहते हैं।
Q.2. सिंधु सभ्यता किस प्रकार की सभ्यता थी - ग्रामीण या नगरीय?
सिंधु घाटी सभ्यता एक नगरीय (शहरी) सभ्यता थी। इसकी पहचान इसकी उन्नत नगर योजना और व्यवस्थित शहरी जीवन से होती है।
Q.3. सिंधु सभ्यता के लोग किस धातु से अपरिचित थे?
सिंधु घाटी सभ्यता के लोग **लोहा (Iron)** धातु से अपरिचित थे।
Q.4. सिंधु घाटी सभ्यता की लिपि कैसी थी और क्या उसे पढ़ा जा सका है?
सिंधु सभ्यता की लिपि **भावचित्रात्मक (Pictographic)** थी। इस लिपि को आज तक **पढ़ा नहीं जा सका है**।
Q.5. सिंधु सभ्यता में व्यापार कैसे होता था?
सिंधु सभ्यता में व्यापार **वस्तु विनिमय प्रणाली (Barter System)** पर आधारित था, क्योंकि सिक्कों के उपयोग का कोई प्रमाण नहीं मिला है।